आपकी भी ‘जिंदगी जिंदाबाद’ करेंगे एचआईवी पॉजिटिव

आगरा। एड्स जिंदगी का अंत नहीं है। इस बीमारी में मौत से चल रही जंग को एचआईवी पॉजिटिव इलाज और हौसले की बदौलत जीतने में सफल रहे हैं। अब ये एचआईवी पॉजिटिव आपकी भी ‘जिंदगी जिंदाबाद’ करेंगे। राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण कार्यक्रम के चौथे चरण में बीमारी को फैलने से रोकने में ये अहम भूमिका निभाएंगे।
ह्यूमन इम्यूनोडिफीसियेंसी वायरस संक्रमित व्यक्ति (एचआईवी पॉजिटिव) से ही एचआईवी का संक्रमण फैलता है। चूंकि एचआईवी पॉजिटिव डर और मजबूरी में अपनी पहचान छिपाकर रह रहे हैं। इससे जाने-अनजाने में संक्रमित व्यक्ति से स्वस्थ व्यक्ति में संक्रमण फैल रहा है। इसे ध्यान में रखते हुए राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण कार्यक्रम (एनएसीपी) के चौथे चरण में एचआईवी पॉजिटिव लोगों को जोड़ा जा रहा है। इन्हें प्रोत्साहित कर अहसास दिलाया जाएगा, ताकि यह वायरस इनसे किसी अन्य व्यक्ति तक न पहुंचे। इसके लिए विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ इन्हें देने के लिए नियमों में रियायत दी जाएगी। आम लोगों के बीच इनकी खुशहाल जिंदगी के उदाहरण देकर लोगों का नजरिया बदलने की कोशिश की जाएगी।

दिसंबर में एनएसीपी का चौथा चरण शुरू हो रहा है। इसमें संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए एचआईवी पॉजिटिव अहम भूमिका में होंगे। पहचान छिपाने के बजाय एचआईवी पॉजिटिव लोगों के बीच पहुंचेंगे।
आशीष वर्मा, आफीसर इंचार्ज, रेड रिबन एक्सप्रेस

एड्स के प्रति जागरूकता में एचआईवी पॉजिटिव को शामिल किया जा रहा है। एचआईवी पॉजिटिव की खुशहाल जिंदगी के उदाहरण से लोगों का नजरिया बदलने लगा है।
निर्मल तिवारी, इंचार्ज ग्रेटर इन्वोल्वमेंट ऑफ पीपुल लिविंग विद एचआईवी एंड एड्स, यूपीसेक

एचआईवी पॉजिटिव का पहला केस 1986 चेन्नई में
देश में एचआईवी पॉजिटिव की संख्या 24 लाख
यूपी में एचआईवी पॉजिटिव की संख्या 25 हजार

एनएसीपी प्रथम चरण 1992-1999 संक्रमण रोकना, बीमारी से मौतों को कम करना
एनएसीपी द्वितीय चरण 1999- 2007 एड्स के प्रति लोगों को जागरूक करना
एनएसीपी तृतीय चरण 2007-2012 एड्स रोगियों की केयर, सपोर्ट और ट्रीटमेंट
एनएसीपी चौथा चरण 2012- एचआईवी संक्रमण की रोकथाम

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